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कविता

रात के मंदिर

संजय चतुर्वेदी


उदासी रास्तों के साथ दूर तक जाती है
उन लोगों तक जो कविताएँ नहीं लिखते

आसमान में किस्मत के सितारे चमक रहे हैं
दुनिया के सभी लोगों पर एक बराबर

एक पीपल का पेड़ खड़ा है चुपचाप
सारे गाँव की कहानियाँ अपने नीचे समेटे

थके लोग जब रात को सो जाते हैं
एक बच्चा निकलता है गाँव से

आ के बैठ जाता है पीपल के नीचे
सारी कहानियों से बेखबर।

 


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हिंदी समय में संजय चतुर्वेदी की रचनाएँ